उषा
अति सुंदर सुकुमार दुल्हनिया, तुम वार लाए हो ऋतुराज।
यौवन के महाराज की पुत्री ,उषा नाम है जीवन साज़।
हुआ है चंदा रत्न बेन्दी का ,नथ बन गई है विहग कतारें ।
काली लाल साडी मे सोभत, मंद आलोकित मौन सितारे।
था इत्र फुहारा सजनी मे, सजनी की चंचल सखियो ने।
पवन है लाया वही संदेशा , जो भेजा है कलियों ने।
मेघ हो गए केश सुसज्जित, जा लुके लाल अंबर भीतर।
सकुचाती सी ठाडी द्वारे , अंजाना है पिया का घर।
तरु, लता और भोरी भाभी ,हुलस दुल्हनिया देखन लागी।
चहक उठी गौरय्या तरुणि, एक झलक को घर से भागी।
प्रथम चरण को चौक सज़ा है, उपवन की रंगोली से।
करत ठिठोली पुरा की सखिया ,नई भावज हमजोली से।
देखन दौड़ा बाल-प्रकाश , पाँव पड़ा पत्थर दमदार।
बिखर गई आभा चेहरे की , पड़ा धरन मे सौंपसार।
किया इशारा भानु-पितामह , बात जमी सबके उर मे।
ले गई कुटुम्ब की नारी वधु को , मान सहित अंत:पुर मे।
यौवन के महाराज की पुत्री ,उषा नाम है जीवन साज़।
हुआ है चंदा रत्न बेन्दी का ,नथ बन गई है विहग कतारें ।
काली लाल साडी मे सोभत, मंद आलोकित मौन सितारे।
था इत्र फुहारा सजनी मे, सजनी की चंचल सखियो ने।
पवन है लाया वही संदेशा , जो भेजा है कलियों ने।
मेघ हो गए केश सुसज्जित, जा लुके लाल अंबर भीतर।
सकुचाती सी ठाडी द्वारे , अंजाना है पिया का घर।
तरु, लता और भोरी भाभी ,हुलस दुल्हनिया देखन लागी।
चहक उठी गौरय्या तरुणि, एक झलक को घर से भागी।
प्रथम चरण को चौक सज़ा है, उपवन की रंगोली से।
करत ठिठोली पुरा की सखिया ,नई भावज हमजोली से।
देखन दौड़ा बाल-प्रकाश , पाँव पड़ा पत्थर दमदार।
बिखर गई आभा चेहरे की , पड़ा धरन मे सौंपसार।
किया इशारा भानु-पितामह , बात जमी सबके उर मे।
ले गई कुटुम्ब की नारी वधु को , मान सहित अंत:पुर मे।
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