युवाओं से
जग जीवन में जंग छिड गई ;तरकश तीर कमानी की।
ध्वज फहरा दो आज विजय का ;लेकर तोप जवानी की।
शिरा -धमनिया दृढ रख कर के ;रूधिर की रफ़्तार बढ़ा दो।
खबरदार ! अब ध्यान न डोले ; लक्ष्य में अपनी आँख गड़ा दो।
तीर नुकीले बरस रहे है ;झट प्रत्यंचा तुम्ही चढ़ा लो।
नहले पे दहले है देना ;रण में छाती आज अड़ा दो।
डर मत जाना खून बहे जब ;नदिया जैसे पानी की।
ध्वज फहरा दो आज विजय का ;लेकर तोप जवानी की।
क्यों भूल गए सब कुछ यारो ;कुछ याद करो, कुछ याद करो।
असीम शक्ति के निज सागर से ;कहो हिलोरे आज भरो।
अंत: में पसर गया है ; उस डर को तुम दूर करो।
तुम पे नजर टिकी भारत की ; दुखिओं के संताप हरो।
भ्रमर छोड़ दो मोह फूल का ;बहुदिन से मनमानी की।
ध्वज फहरा दो आज विजय का ;लेकर तोप जवानी की।
कमर कसी है मैंने अपनी ;तुम भी लो हथियार उठाय।
आज क्रान्ति का बिगुल बजा दो ;अपना राज लेओ हथियाय।
सुनो धुंवा न मुझको भाता ;बात बतंगड़ नहीं पुसाय।
मुझे चाहिए इक चिंगारी ;हवा पड़े से जो रिसियाय।
आओ मिलकर आज तोड़ दें ;भ्रष्ट किला राजधानी की।
ध्वज फहरा दो आज विजय का ;लेकर तोप जवानी की।
ध्वज फहरा दो आज विजय का ;लेकर तोप जवानी की।
शिरा -धमनिया दृढ रख कर के ;रूधिर की रफ़्तार बढ़ा दो।
खबरदार ! अब ध्यान न डोले ; लक्ष्य में अपनी आँख गड़ा दो।
तीर नुकीले बरस रहे है ;झट प्रत्यंचा तुम्ही चढ़ा लो।
नहले पे दहले है देना ;रण में छाती आज अड़ा दो।
डर मत जाना खून बहे जब ;नदिया जैसे पानी की।
ध्वज फहरा दो आज विजय का ;लेकर तोप जवानी की।
क्यों भूल गए सब कुछ यारो ;कुछ याद करो, कुछ याद करो।
असीम शक्ति के निज सागर से ;कहो हिलोरे आज भरो।
अंत: में पसर गया है ; उस डर को तुम दूर करो।
तुम पे नजर टिकी भारत की ; दुखिओं के संताप हरो।
भ्रमर छोड़ दो मोह फूल का ;बहुदिन से मनमानी की।
ध्वज फहरा दो आज विजय का ;लेकर तोप जवानी की।
कमर कसी है मैंने अपनी ;तुम भी लो हथियार उठाय।
आज क्रान्ति का बिगुल बजा दो ;अपना राज लेओ हथियाय।
सुनो धुंवा न मुझको भाता ;बात बतंगड़ नहीं पुसाय।
मुझे चाहिए इक चिंगारी ;हवा पड़े से जो रिसियाय।
आओ मिलकर आज तोड़ दें ;भ्रष्ट किला राजधानी की।
ध्वज फहरा दो आज विजय का ;लेकर तोप जवानी की।
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