हिंदी मेरी माँ है
एक सज्जन है प्रिये मित्र हमारे ।
अंग्रेजी के मद से मारे ।
बोले "एक्सक्यूज मी " ;क्या हिंदी हिंदी करते हो ।
हिंदी में क्या धरा है ? -जो इसकी पूजा करते हो ।
अरे पू जा करनी है तो अंग्रेजी की करो जो जानी मानी है ।
अंग्रेजी वो मदहोश जवानी है,जिसक दुनिया दीवानी है ।
अरे अंग्रेजी बड़प्पन की निशानी है, और हिंदी छप्पन की ।
अंग्रेजी सभ्यता की भाषा है और हिंदी गप्पन की ।
अंग्रेजी में बोलो तो तुम्हारा ग्यान पसरा सा लगता है ।
और हिंदी में बोलो तो वाही ग्यान सिकुड़ा सा लगता है ।
मैंने कहा मित्र !आपकी सलाह को मेरा सलाम है ।
और अंग्रेजी को भी शत-शत प्रणाम है ।
पर क्या करू मित्र हिंदी मेरी अभिलाषा है ।
मेरे लिए अरे सुजान !हिंदी ममता की परिभाषा है ।
मेरे लिए हिंदी माँ का हाथ है, जो दुआओं में सिर पर फिरता है ।
मेरे लिए हिंदी माँ की गोद है ,जहां सिर रखने का मन करता है ।
हिंदी में वो ममतामयी आज है ,जो भोजन के लिए बुलाती है ।
हिंदी में वो मीठी-सी लोरी है ,जोभर के प्यार सुलाती है ।
हवा चल गई आज हिन्द में ,कि अंगेजी से सारा जहां है ।
पर ऐसे नहीं छोड़ सकता ,ये हिंदी मेरी माँ है ।
-परमानंद
अंग्रेजी के मद से मारे ।
बोले "एक्सक्यूज मी " ;क्या हिंदी हिंदी करते हो ।
हिंदी में क्या धरा है ? -जो इसकी पूजा करते हो ।
अरे पू जा करनी है तो अंग्रेजी की करो जो जानी मानी है ।
अंग्रेजी वो मदहोश जवानी है,जिसक दुनिया दीवानी है ।
अरे अंग्रेजी बड़प्पन की निशानी है, और हिंदी छप्पन की ।
अंग्रेजी सभ्यता की भाषा है और हिंदी गप्पन की ।
अंग्रेजी में बोलो तो तुम्हारा ग्यान पसरा सा लगता है ।
और हिंदी में बोलो तो वाही ग्यान सिकुड़ा सा लगता है ।
मैंने कहा मित्र !आपकी सलाह को मेरा सलाम है ।
और अंग्रेजी को भी शत-शत प्रणाम है ।
पर क्या करू मित्र हिंदी मेरी अभिलाषा है ।
मेरे लिए अरे सुजान !हिंदी ममता की परिभाषा है ।
मेरे लिए हिंदी माँ का हाथ है, जो दुआओं में सिर पर फिरता है ।
मेरे लिए हिंदी माँ की गोद है ,जहां सिर रखने का मन करता है ।
हिंदी में वो ममतामयी आज है ,जो भोजन के लिए बुलाती है ।
हिंदी में वो मीठी-सी लोरी है ,जोभर के प्यार सुलाती है ।
हवा चल गई आज हिन्द में ,कि अंगेजी से सारा जहां है ।
पर ऐसे नहीं छोड़ सकता ,ये हिंदी मेरी माँ है ।
-परमानंद
Comments
Post a Comment