घाम अब ग़ुलाम भये
घाम अब ग़ुलाम भये ,घन घोर घमासान भये ।
लतान ओट तान छेड़ , मयूर पर तान लये ।
प्रेम-पीयूष में प्रकृति के अंग-अंग भींज गए ।
प्रेमिका-सी दग्ध धरा को आत्मा से सींच गए ।
इस मधुर प्रेम नाट्य में घन श्याम घनश्याम भये ।
मयूर-घन-लतान की कथां को "परमानंद "जान गए ।
पतित पवन प्यार के, शेष सब गुहार रये ।
मानो प्यारी राधिका-से पपीहा के प्रान भये |
लतान ओट तान छेड़ , मयूर पर तान लये ।
प्रेम-पीयूष में प्रकृति के अंग-अंग भींज गए ।
प्रेमिका-सी दग्ध धरा को आत्मा से सींच गए ।
इस मधुर प्रेम नाट्य में घन श्याम घनश्याम भये ।
मयूर-घन-लतान की कथां को "परमानंद "जान गए ।
पतित पवन प्यार के, शेष सब गुहार रये ।
मानो प्यारी राधिका-से पपीहा के प्रान भये |
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