सुख

नोट : कठोपनिषद् के प्रथम अध्याय की प्रथम वल्ली में नचिकेता द्वारा यमराज को दिए गए उत्तर से प्रेरित।
Note : Inspired by Nachiketa's answer to Yamraj, Kathopanishad,Chapter-1, Valli-1

सुख तो भइया दूर के बाजे, दूरई दूर पुसावै रे।
इनके पाछू लग कें देखो, हाथ न तनकउ आवै रे।
बर्रोलन में ज्यों बर्रोली, त्यों जग सत्य कहावै रे।
माया की जा सुखद बर्रोली, जो न साँच दिखावै रे।
सुख के साधन जोर जोर कें, हमें न कभउ अघाने रे।
पल में सबई अलोप हो जाने, जबई गटा मुंद जाने रे।

                                                                 -परमानंद


पुसावै = पसंद आना, तनकउ = तनिक, बर्रोली = सपना, साँच = सच, कभउ = कभी, अघाने = तृप्त होना, अलोप = गायब, गटा = नेत्र, मुंद जाने = बंद हो जायेंगे

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