असाढ़ की पैली बुंदियाँ
पैली बेर को ऐसो बरसो,
सबरो जिया जुड़ा गओ तरसो।
बीज करो सरजू की अम्मा,
भ्याने नईं तो बै दें परसों।
भैसें बाँध देव बहार खों,
जुड़ा जान दो उने भीतर सों।
पर को बीज अब धरो कां है,
डेओढ़ लगी न, बीते बरसों।
तिली मूंग कतकी ने खा लए,
चैती लील गई सब सरसों।
हर साल सो हर न रावै,
हाथ जोर कै दो हर सों।
-परमानंद
पैली बेर = पहली बार, जुड़ा = ठंडक, भ्याने = कल सुबह, बै = बुआई, कां = कहाँ, कतकी = खरीफ की फसल, चैती = रबी की फसल, हर = प्रत्येक/हल/हरि (ईश्वर), रावै = रहे
सबरो जिया जुड़ा गओ तरसो।
बीज करो सरजू की अम्मा,
भ्याने नईं तो बै दें परसों।
भैसें बाँध देव बहार खों,
जुड़ा जान दो उने भीतर सों।
पर को बीज अब धरो कां है,
डेओढ़ लगी न, बीते बरसों।
तिली मूंग कतकी ने खा लए,
चैती लील गई सब सरसों।
हर साल सो हर न रावै,
हाथ जोर कै दो हर सों।
-परमानंद
पैली बेर = पहली बार, जुड़ा = ठंडक, भ्याने = कल सुबह, बै = बुआई, कां = कहाँ, कतकी = खरीफ की फसल, चैती = रबी की फसल, हर = प्रत्येक/हल/हरि (ईश्वर), रावै = रहे
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