सजना बरयाने
पृष्ठभूमि:- बुंदेलखंड के उस मजदूर परिवार की कल्पना करें जिसका मुखिया शराब पीता है और यहीं से जन्म लेती हैं गरीबी, भूख और घरेलू हिंसा जैसी गंभीर समस्याएँ।
विशेष:- प्रस्तुत छंद मालती सवैया है जिसके प्रत्येक चरण में सात भगण(S I I) एवं अंत में दो गुरु वर्ण होते हैं।
खोरन ठोकर खात फिरै, ढुलकै-लुढकै नहि होस ठिकाने।
रंजित नैनन खून चढ़ो, पतलून धरे सब कीच भिड़ाने।
मारत, डारत तेल सखी, नहि लाज रखै सजना बरयाने।
देख सराब खराब बला, 'परमा' अनवास न भौत खटाने।
खोरन = गलियन, भिड़ाने = लथपथ, बरयाने = पागल हो जाना, अनवास = उपयोग करना/सेवन करना, खटाने = जिन्दा रहना
विशेष:- प्रस्तुत छंद मालती सवैया है जिसके प्रत्येक चरण में सात भगण(S I I) एवं अंत में दो गुरु वर्ण होते हैं।
खोरन ठोकर खात फिरै, ढुलकै-लुढकै नहि होस ठिकाने।
रंजित नैनन खून चढ़ो, पतलून धरे सब कीच भिड़ाने।
मारत, डारत तेल सखी, नहि लाज रखै सजना बरयाने।
देख सराब खराब बला, 'परमा' अनवास न भौत खटाने।
खोरन = गलियन, भिड़ाने = लथपथ, बरयाने = पागल हो जाना, अनवास = उपयोग करना/सेवन करना, खटाने = जिन्दा रहना
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