हिम के पथरा
विशेष :- मालती सवैया नामक छंद का प्रयोग जिसमे सात भगण (S I I) एवं अंत में दो गुरु वर्ण होते हैं।
बादर से हिम के पथरा, बरसे हिरदे जब मार कटारी।
चारउ ओर भई चपटी, फसलें झकझोर सपट कर डारी।
ढोरन गातन खून बहै, कछु चोटन से दिहिया तज डारी।
थारन मूड़ ढके दुबके, 'परमा' अब रूठ गओ गिरधारी।
बादर = बादल, पथरा = पत्थर, चारउ = चारों, ढोरन = पशुधन के, गातन = अंगों में, चोटन = चोटों से, दिहिया = शरीर/देह, थारन = थालियों से, मूड़ = सिर
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