अपनी सजनी यह है परपाटी

पृष्ठभूमि:- रोड का काम प्रारम्भ होते ही मजदूर समुदाय में आशा जाग उठी।
छंद:- मालती सवैया

रामपुरा अब रोड डरे, चल री चल खोद भरें कछु माटी।
काम करे कछु बात बने, अब भूखन जात न उम्मर काटी।
राज लगे उनखों जिनकी, धन दौलत है जन की बरबादी।
हाड़ गला नस खून बना, अपनी सजनी यह है परपाटी।

                                                                       -परमानंद

रामपुरा = एक गाँव का नाम, उनखों = उनको, हाड़ गला = हड्डियाँ गलाना 

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