सपरावत खीझ परी महतारी
पृष्ठभूमि:- आज भी वो दिन याद आ जाता है जब अम्मा बचपन में नहलाती थी।
छंद:- मालती सवैया
धूसर अंग धरे करिया, बनियान तने मल सी कर डारी।
छंद:- मालती सवैया
धूसर अंग धरे करिया, बनियान तने मल सी कर डारी।
खेलत धूलि न भाँय करै, रत नाहिं घरै दिन-भोर-दुपारी।
बाप दुलार बिगार दिए, न उसार करे बनवै अधकारी।
ऊ दिन खों अब याद करों, सपरावत खीझ परी महतारी।
बाप दुलार बिगार दिए, न उसार करे बनवै अधकारी।
ऊ दिन खों अब याद करों, सपरावत खीझ परी महतारी।
-परमानंद
धूसर = धूल से सने, तने = तूने, भाँय = होश, रत = रहता, उसार = सेवा, खों = को, सपरावत = नहलाती, महतारी = माँ
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