मैं अकेला कहाँ हूँ यारो

उन्होंने तो नजरें फेर ली ;अच्छा हुआ ये रम तो है ।
मैं अकेला कहाँ हूँ यारो ;मेरे साथ मेरा ग़म  तो है ।
 चाँदनी में सजाए  थे जो सपने ;वो सपने मचल गए ।
उनकी राहों में बिछाया था ये दिल ;बेरहम हँसकर कुचल गए ।
दूर से देखा था वो किनारा ;वे थोडा आगे निकल गए ।
हम आये तो देखा साहिल को ;वे किनारे ही बदल गए ।
उनकी जुल्फों के घने बादल ;मेरी दुनिया में घिर आते हैं ।
हमें क्या पता था यारो ;ये बादल पानी नहीं बिजली गिराते हैं ।
हमें सूली पर चढ़ाया उन्होंने ;मोहब्बत पर हर दफ़ा क़यामत हुई ।
ख़ता ये थी कि शाही बगीचे के फूलों की महक; हमारे दिल से बरामद हुई ।
फूलों से कह दो की खिल उठें अब ;खुशियों का सवेरा हो गया ।
अब नहीं गूंजेगा गुंजार कोई ;चिरकाल को भँवरा सो गया ।
मुझे फ़क्र  है ये ज़ालिम तुझ पर ;तुम्हे मोहब्बत को कुचलने का दम तो है ।
मैं  अकेला कहाँ हूँ यारो; मरे साथ मेरा गम तो है ।

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