आमचरितमानस (परमा अमृतवाणी)
दोहे
१) परमा खड़ा बज़ार में, ताकै चारों ओर।
ये नर लड़की ताक के, कभी न होता बोर।
२) यों परमा सुख होत हैं, स्टॉकर के संग।
हर फोटो देखत ह्रदय, बाजत ढोल मृदंग।
३) साईं इतना दीजिये, जासै कुटुम दिखाय।
मैं भी सिंगल ना रहूँ, खर्चा भी बच जाय।
४) इन्फी प्रोफाइल देख के दिया स्टॉकर रोय।
उसकी नज़र के सामने, सिंगल बची न कोय।
५) सिंगल देखन मैं चला, सिंगल न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपनो, मुझ-सा सिंगल न कोय।
६) बंदी ढूंढत जुग गया, फिरा न मनका फेर।
परमा जो अब ढूंढ़ ली, गई कहीं मुख फेर।
७) स्टॉक कर-कर जग मुआ, कमिटेड हुआ न कोय।
दुइ आखर 'डूड' का, पढ़े सो कमिटेड होय।
कुण्डलिया
धरना देते द्वार पर, बैठे पीकर भांग।
सारे सिंगल कर रहे, आरक्षण की मांग।
आरक्षण की मांग, कमिटेड की सुन लीजै।
मारे इन्फी फाइट, चान्स उसी को दीजै।
कह 'परमा' कविराय, भला पिछड़ों का करना।
आरक्षण दे सफल, बनाना इनका धरना।
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