स्वारथ की झांकी है
छंद: ताटंक
ओ मनवा ! रिश्तेदारों से ,दूर रहें तो प्यारे हैं |
साथ गुंथने से दुःख बढ़े ,अपने भी कुप्यारे हैं |
प्यार दुलार सबै नौटंकी ,मेल-मिलाप छलावा है |
ये स्वारथ की सब झांकी ,या मन का बहलावा है |
ओ मनवा ! रिश्तेदारों से ,दूर रहें तो प्यारे हैं |
साथ गुंथने से दुःख बढ़े ,अपने भी कुप्यारे हैं |
प्यार दुलार सबै नौटंकी ,मेल-मिलाप छलावा है |
ये स्वारथ की सब झांकी ,या मन का बहलावा है |
Comments
Post a Comment