पन्ने पुराने हो गए

पीले पड़ गए पन्ने, ज़रा पुराने हो गए।
महज अल्फ़ाज़ थे अब तराने हो गए।
जरा मंथर हो गया है वक्त का कटना,
मिलन के सिलसिले याद आने हो गए।
चमक आती नहीं उतनी इन आंखों में,
नूर छटा अब, तुझे देखे जमाने हो गए।
तीर से जो चीरते, विंधते इस ह्रदय में,
नयन के वे निशाने बे-निशाने हो गए।
सुरूपे! ढूंढता अब भी खयालों में तुझे,
पुरानी बात वो दिल के लगाने हो गए। 

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