समझ नहीं आ रहा कौन-सी वाली डिसाइड करूँ
1 जनवरी और 1 जुलाई ऐसा दिन है जब ढेरों भारतियों का जन्मदिन होता है। क्यों होता है? ये अब किसी से छिपा नही हैं। मास्साब (teacher) की इस कृपा का एक पात्र मैं भी हूँ। हमें अपने जन्मदिन का पता ही अपनी पाँचवी की मार्कशीट से चलता है। हालाँकि जन्मदिन मनाने के चक्कर में मैं ज्यादा पड़ा नहीं। मुझे दो या तीन बार का ही ऐसा कुछ याद है जब जन्मदिन मनाने जैसा कुछ किया गया। एक बार छठवीं कक्षा में चॉकलेट वितरण, एक बार तीन चार दोस्तों के साथ मिलकर शुद्ध जैन केक भंजन (केक एक मित्र ने उसके घर से मंगाया था, कक्षा नौवीं की बात) और तीसरी बार 2014 में जब घर पे था तो बहन द्वारा लाई गई जलेबियों का रसास्वादन। (उसे तो पता ही तब चला था जब मेरे मोबाइल पे उसने 1 जनवरी को कई दोस्तों के हैप्पी बर्थडे मैसेज देखे, और चट से ले आई जलेबियाँ). इन घटनाओं के आलावा मैंने कभी जन्मदिन नहीं मनाया।
पिछली बार 2015 की दिवाली में सफ़ाई करते हुए मेरे भाई को पिताजी की पुरानी पॉकेट डायरी मिली जिसमें उन्होंने मेरी जन्म की दिनांक और समय नोट कर रखा था। पिताजी ने इस डायरी का जिक्र कई बार किया परंतु कभी इसके दर्शन न हुए थे। और उनको याद भी नहीं था ठीक से। डायरी में लिखा था - "8 जनवरी 1993, दिन-शुक्रवार, दोपहर 01 बज के 6 मिनट, पूस की पूने " भाइयों ने फ़ोन करके मुझे बताया और बहन की 2014 की जलेबियों की जम के खिल्ली उड़ाई गई। मेरी भी ले ली गई 1 जनवरी वाले दोस्तों के मैसेज के लिए। लेकिन मैंने पिछली बार इस बारे में किसी को बताया नहीं (:P) बस बुट्ठन भाई को पता है क्योंकि उसने पूछ लिया और मुझे बताना पड़ा। बुट्ठन भाई कौन है अगर आपको ये नहीं पता तो जानने की जरुरत भी नहीं है। खैर, मुझे तो पता चल ही गया, बाकी भारत में ऐसे लोगो की कमी नहीं है जो मास्साब की कृपा से जन्मतिथि पाए हैं। पिताजी ने भी पहली-पहली संतान के उत्साह में नोट कर लिया होगा वर्ना मेरे बाकी भाई-बहनों (जिनको आप कज़िन बोलते हो उन सबको मिला के) की जन्मतिथि अब भी एक रहस्य है। गाँव में जन्मतिथि का कोई उपयोग भी नहीं है। बस पंडित जी से राशि निकलवा ली (वो भी नाम के सजेसन मांगने के लिए) और भूल गए। खुद से आठ दिन छोटा होके अच्छा तो लग रहा है, लेकिन समझ नहीं आ रहा कौन-सी वाली डिसाइड करूँ ! फिलहाल तो दोनों तारीखों को wishes स्वीकारे जायेंगे !
पिछली बार 2015 की दिवाली में सफ़ाई करते हुए मेरे भाई को पिताजी की पुरानी पॉकेट डायरी मिली जिसमें उन्होंने मेरी जन्म की दिनांक और समय नोट कर रखा था। पिताजी ने इस डायरी का जिक्र कई बार किया परंतु कभी इसके दर्शन न हुए थे। और उनको याद भी नहीं था ठीक से। डायरी में लिखा था - "8 जनवरी 1993, दिन-शुक्रवार, दोपहर 01 बज के 6 मिनट, पूस की पूने " भाइयों ने फ़ोन करके मुझे बताया और बहन की 2014 की जलेबियों की जम के खिल्ली उड़ाई गई। मेरी भी ले ली गई 1 जनवरी वाले दोस्तों के मैसेज के लिए। लेकिन मैंने पिछली बार इस बारे में किसी को बताया नहीं (:P) बस बुट्ठन भाई को पता है क्योंकि उसने पूछ लिया और मुझे बताना पड़ा। बुट्ठन भाई कौन है अगर आपको ये नहीं पता तो जानने की जरुरत भी नहीं है। खैर, मुझे तो पता चल ही गया, बाकी भारत में ऐसे लोगो की कमी नहीं है जो मास्साब की कृपा से जन्मतिथि पाए हैं। पिताजी ने भी पहली-पहली संतान के उत्साह में नोट कर लिया होगा वर्ना मेरे बाकी भाई-बहनों (जिनको आप कज़िन बोलते हो उन सबको मिला के) की जन्मतिथि अब भी एक रहस्य है। गाँव में जन्मतिथि का कोई उपयोग भी नहीं है। बस पंडित जी से राशि निकलवा ली (वो भी नाम के सजेसन मांगने के लिए) और भूल गए। खुद से आठ दिन छोटा होके अच्छा तो लग रहा है, लेकिन समझ नहीं आ रहा कौन-सी वाली डिसाइड करूँ ! फिलहाल तो दोनों तारीखों को wishes स्वीकारे जायेंगे !
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