हमारा भी होगा



नज़र है तो नज़ारा भी होगा।
सफर है तो गुज़ारा भी होगा।
वक्त किसी की बपौती नहीं,
तुम्हारा है, हमारा भी होगा।
कुछ चित्र गोदे हैं ह्रदय पर,
इक रंग उनमें तुम्हारा भी होगा।
उठती है लहरियाँ सिंधु में तो क्या,
तकता राह वो किनारा भी होगा।





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