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Proposal for Lohagad Fort Trek

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हिंदी के लिए  यहां  क्लिक करें Brief Information Fort: Lohagad Region: Lonavala Height: 3389ft. Grade: Easy Location History  Lohagad has a long history with several dynasties occupying it at different periods of time: Satavahanas, Chalukyas, Rashtrakutas, Yadavas, Bahamanis, Nizams, Mughals and Marathas. Shivaji captured it in 1648 CE, but he was forced to surrender it to Mughals  in 1665 CE by the Treaty of Purandar. Shivaji recaptured the fort in 1670 CE and used it for keeping his treasury.  Tentative Schedule 06:14 AM - Board Indrayani Express at Thane 08:00 AM - At Lonavla Up to 10:00 AM - Breakfast and then  Bjaja Caves   10:00 AM - Ascending 12:00 PM - At the Fort 02:00 PM - Descending  03:20 PM - Lohagad Wadi 05:00 PM - At Malavli Station (have to catch 5:37 local train to lonavala) 06:00 PM - At Lonavala (Local may be 10 to 20 min. late) 07:25 PM - Board Indrayani Express for Mumbai ...

विरहिन की बरसात

ओ धरनी मोरी विरह की साथिन,  आग करेजे में धधकी। बारिश की पहली बुंदियन  पे ,  लेत  लपेटा दै भड़की।  अब सखी दादुर बोलन लागै ,  पूछ पुछार की दै छिटकी। प्रियतम नज़र नहीं कहूँ आवै ,  बैरन हवा घुसी खिड़की।    शीतल पवन चले आरी-सी ,  बदरा गरजै  घात करे।  अ ब की बार नहीं भींजूँगी ,  बूंदन-बूंदन तीर चले।  तू तो धरनी जनम की विरहिन ,  तैने कैसे धीर धरो।  मेरा विरह एक सावन का ,  तोकूँ सारो जनम धरो। तुम्हरे पिया तुम्हारे सम्मुख ,  नाम मिलन को नाहिं लियो।  मैं ही रुदन मचा वन लागी ,  तुम तो शाश्वत मौन लियो।                                                                    

महाकाव्य : फौजी

सर्ग-एक ईश्वर-नमन पहिले सुमरों परमेश्वर को ,देवी देवता लेव मनाय । कलम विराजो माँ सुर-देवी ,ज्ञान की स्याही दो फैलाय । झन-झन वीणा तान सुना दे ,सबदन में अब भाव रमा दे । निज बालक पे चितवन दारो ,नवरस से इह काव सजा दे । ज्ञानोसुर की महानिधि है जो ,तेरे मानस के सागर में । वो सागर से इक बुंदिया-सी ,जलनिधि दे दो मम गागर में । आ के माँ मेरे मन-मंदिर में,काव्य का अमृत आज फुहारों । कर दीजो सफल सुरीलो कारज ,शीश नवावत लाल तुम्हारो ।                   कुण्डलिया ग्राम “मढैया” सुख बसा ,उर्मिल नद के पार । जम्बू दीपे भरत खंडे  ,आजादी के बाद । आजादी के बाद ,सब नीको चले कामा  । हरे खेत झूमते ,  इ सुखद सुरीलो धामा । वामन क्षत्रीय वैश्य सब सुख से करते काम । एक झलकिया  देख लो चलो मढैया ग्राम ।         सरसी-छंद यही लोग के बीच में कछु ,रहते ऐसे लोग । सदियों से भोगते आये ,जीवन महा कठोर। आज ऋण में गले से डूबे ,आजादी के बाद । इनसे पूछ लेव कैसा है ,आजादी का ...