कुँवर साब की सगाई
कुँवर साब की भई सगाई , गाँव के सबरे नर आ जइयो। दाऊ साब ने दावत रखाई , अनिवार्य हो सब जें जइयो। उते न आके उनकी बुराई , अपने मूड़ पे तुम धर लइयो। पंडित-बामन सबरे जुर के , मंगल-मंत्र तना पढ़ दइयो। ग्राम-पंचयात के सबरे टैंकर , दरवाजे पे झट धर जइयो। प्रीतिभोज में बड़े प्रेम से , सातऊ जातें भोग लगइयो। मैंतर, बसोर और चमार भाई , तना दूर हो तुम खा लइयो। खबरदार ! जे तीनऊ जातें , खा के दोना दूर कर दइयो। जें = खाना /जीमना , उते = वहाँ , मूड़ = सिर , तना = थोड़ा /ज़रा , सबरे = सभी , जातें = जातियाँ , दोना = पत्तल /भोजन हेतु पत्तों से बनाया गया डिस्पोजल